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अनोखा ‘राम’ नाम बैंक मंदिर, जहां पैसे नहीं ‘राम’ के नाम का होता है संग्रह

देहरादून। राजस्थान के बांसवाड़ा में अनोखा ‘राम’ नाम बैंक मंदिर है. जहां पैसे नहीं ‘राम’ के नाम का होता है. संग्रह इस बैंक में एक पुस्तक में राम भक्तों द्वारा 21 हजार राम नाम लिखे जाते हैं. राम नाम लिखी पुस्तकों को त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में अर्पित की गई साड़ी में 20-20 लाख ‘राम’ नाम लिखी कॉपियों के बंडल बांधकर उन्हें ‘श्री राम नाम बैंक’ मंदिर में रखा जाता है.

शाह वनेश्वर महादेव मंदिर परिसर स्थित मानस भवन में स्थित श्रीराम नाम धन संग्रह बैंक मंदिर अपने आप में एक अनोखा राम नाम बैंक मंदिर है.जहां श्रद्धालु राम नाम लेखन पुस्तिका जमा कराते भी हैं और श्रद्धा से सिर झुकाते भी हैं.ब्रह्मलीन महंत विश्वंभरदास फलाहारी महाराज की प्रेरणा से 26 मार्च 2001 को इसकी स्थापना हुई थी.राम नाम बैंक में अब तक एक अरब से अधिक रामनाम लेखन संग्रह किए जा चुके हैं.

भक्त श्री राम नाम संग्रह मंदिर की परिक्रमा प्रति एकादशी, पूर्णिमा, अमावस को की जाती है.यदि देव प्रबोधिनी एकादशी और सोमवती अमावस को विशेष रूप से भक्तों द्वारा 108 परिक्रमा हाथों में सूखे मेवे, ऋतुफल, नारियल लेकर की जाती है.बता दें कि महंत ने 26 मार्च 1989 को श्रीरामचरित मानस मंडल की स्थापना की थी.अति प्राचीन वनेश्वर शिवालय परिसर स्थित मानस भवन में स्थापित श्रीराम नाम धन संग्रह बैंक में राम भक्तों द्वारा दी गई पुस्तकों में राम नाम लिख कर मानस भवन में जमा करवाई जाती है।

किताब में भक्त लिख सकते हैं 21 हजार बार ‘श्री राम’ का नाम
एक पुस्तक में राम भक्तों द्वारा 21 हजार राम नाम लिखे जाते हैं. राम नाम लिखी पुस्तकों को त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में अर्पित की गई साड़ी में 20-20 लाख राम नाम लिखी कॉपियों के बंडल बांधकर उन्हें श्री राम नाम बैंक मंदिर में रखा जाता है. श्रीराम चरित मानस मंडल के महामंत्री अमृतलाल पंचाल ने बताया कि मार्बल से निर्मित इस मंदिर में पांच गुम्बद हैं और मंदिर में कांच की चार खिड़‌कियां हैं. जिसमें चारों खिड़कियों में अलग-अलग हनुमानजी, भरत जी, लक्ष्मण जी, शत्रुघ्न जी की मूर्तियां स्थापित हैं. ये चारों मूर्तियां राम नाम बैंक द्वारपाल के रूप में स्थापित हैं.

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