क्या आपने कभी सोचा है कि द जंगल बुक का मोगली, जो जंगल में जानवरों के साथ बड़ा होता है, सिर्फ एक काल्पनिक किरदार नहीं हो सकता? जी हां, आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे लड़के की कहानी, जिसने रुडयार्ड किपलिंग को द जंगल बुक लिखने की प्रेरणा दी। इस रियल लाइफ मोगली का नाम था दीना सनीचर, और उसकी जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं थी।
साल था 1867। भारत के जंगलों में शिकार पर निकले कुछ अंग्रेज शिकारी आगरा के पास के घने जंगलों में कुछ अजीब देख कर हैरान रह गए। उन्होंने देखा कि एक छोटा बच्चा भेड़ियों के साथ घूम रहा था। वह न तो इंसानों की तरह चल रहा था और न ही इंसानों की तरह व्यवहार कर रहा था।
बच्चा अपने हाथों और पैरों के बल जमीन पर दौड़ रहा था, जैसे कोई जानवर हो।
शिकारियों ने बच्चे को जंगल से निकालने का फैसला किया। काफी मशक्कत के बाद उन्होंने बच्चे को पकड़ लिया। यह बच्चा किसी इंसान जैसा कम और किसी जंगली जानवर जैसा ज्यादा लग रहा था। उस वक्त बच्चे की उम्र लगभग 6 साल थी।
बच्चे को आगरा के एक अनाथालय में ले जाया गया। वहां के लोगों ने उसे दीना सनीचर नाम दिया।
लेकिन दीना इंसानों की दुनिया में पूरी तरह अलग-थलग था। उसने कभी इंसानों के साथ वक्त नहीं बिताया था, और इसलिए उसे इंसानों के तौर-तरीके नहीं आते थे।
अन्य बच्चों की तरह उसे सिखाने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन दीना कभी पूरी तरह से इंसानों की तरह व्यवहार नहीं कर पाया।
रुडयार्ड किपलिंग ने जब इस घटना के बारे में सुना, तो वह इसे लेकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने अमर किरदार मोगली की रचना कर डाली।
हालांकि दीना की जिंदगी मोगली जितनी खुशहाल नहीं थी। इंसानों की दुनिया में रहते हुए भी वह कभी पूरी तरह इस समाज का हिस्सा नहीं बन पाया।
दीना ने अपना ज्यादातर जीवन अनाथालय में बिताया। लेकिन इस नई दुनिया में उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
उसका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया, और 1895 में, करीब 34 साल की उम्र में, दीना सनीचर का निधन हो गया।
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