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श्री राधावल्लभ मंदिर की अनूठी कहानी और भगवान शिव से उसका संबंध

वृंदावन के श्री राधावल्लभ मंदिर की कहानी अपने आप में खास है। यह मंदिर भगवान शिव और श्री कृष्ण की अद्भुत लीलाओं से जुड़ा हुआ है।

वृंदावन:वृंदावन के प्रसिद्ध राधावल्लभ मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था और श्रद्धा का एक अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है। यहाँ की प्रचलित कहावत “राधा वल्लभ दर्शन दुर्लभ, सहसा दर्शन नहीं हो सकते किसी भी ताकत से” यह दर्शाती है कि केवल वही भक्त जिनके हृदय में सच्चा प्रेम होता है, वे ही भगवान राधावल्लभ के दर्शन कर सकते हैं। इस आध्यात्मिक स्थल पर भक्त अपने प्रभु को प्रसन्न करने के लिए भजन-कीर्तन करते हैं और उनका जयगान गाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब कोई भक्त पूरी श्रद्धा से यहाँ आता है, तो भगवान राधावल्लभ न केवल उन्हें दर्शन देते हैं बल्कि उनके सारे कष्ट भी दूर कर देते हैं। यह विश्वास और भक्ति की गहराई को दर्शाता है और यही वजह है कि यह स्थल विश्व भर के भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ बन गया है।

भगवान शिव के इस मंदिर की कहानी अत्यंत रोमांचक है। ब्राह्मण आत्मदेव, भगवान शिव के परम उपासक, ने भगवान के दर्शन पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मण आत्मदेव ने भगवान से वो वर प्राप्त करने की इच्छा जताई, जो उनके ह्रदय को सबसे प्रिय हो। तब भगवान शिव ने अपने ह्रदय से श्री राधावल्लभलाल को प्रकट किया। श्री राधावल्लभ के श्री विग्रह को भगवान शिव ने ब्राह्मण आत्मदेव को दिया था, जब वो कैलाश पर्वत पर तप करने गए थे। भगवान शिव ने उन्हें श्री राधावल्लभ की सेवा की पद्दति भी बताई थी।

इसके बाद कई सालों तक ब्राह्मण आत्मदेव के वंशज उनकी सेवा करते रहे। लेकिन भगवान राधावल्लभलाल को श्री कृष्ण के अनुयायी हितहरिवंश महाप्रभु वृंदावन लेकर आए थे।

वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर के संप्रदाचार्य बताते हैं कि हरिवंशमहाप्रभु राधा वल्लभलाल को लेकर वृंदावन आए और मदनटेर जिसे ऊंची ठौर बोला जाता है वहां पर विराजमान किया। जब उनके बड़े पुत्र गद्दी पर बैठे वंचनमहाप्रभु तब उनके शासन काल में यहां पर एक पहला मंदिर बना है राधा वल्लभ जी का जो इस वृंदावन में राधा वल्लभ जी का सबसे पुराना मंदिर है।

इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां राधा और कृष्ण को एक ही स्वरूप में देखा जा सकता है। यहां के भक्त अपने प्रभु को रिझाने के लिए उनका जयगान करते हैं, उनके लिए भजन-कीर्तन करते हैं, उन्हें पंखा झल कर उनको प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

जब कोई पूरी श्रद्धा से भगवान राधावल्लभ के दर्शन की अभिलाषा करता है तो प्रभु उन्हें दर्शन जरूर देते हैं और उनके सब कष्ट दूर करते हैं। श्री राधावल्लभ के चरणों में सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

श्री राधा वल्लभ मंदिर, वृंदावन के प्रमुख मंदिरों में से एक है, जहाँ भक्त श्री कृष्ण और श्री राधा के दर्शन एक साथ कर सकते हैं। यह मंदिर राधा और कृष्ण के अद्वैत स्वरूप को प्रकट करता है, जहाँ वे दो नहीं बल्कि एक हैं। इस अद्वितीय दर्शन के माध्यम से, राधा वल्लभ संप्रदाय का मानना है कि राधा रानी सर्वोच्च दिव्यता हैं और श्री कृष्ण उनमें समाहित हैं। मंदिर की स्थापना श्री हरिवंश महाप्रभु ने की थी और यह वृंदावन के सात प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में राधावल्लभ विग्रह के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और यहाँ की भोग राग, सेवा-पूजा श्री हरिवंश गोस्वामी जी के वंशज करते हैं

मंदिर में राधा और कृष्ण के एक साथ दर्शन होते हैं, जो दो नहीं बल्कि एक हैं। राधा में कृष्ण और कृष्ण में राधा समाहित हैं, और वे एकाकार हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि जब भगवान राधावल्लभ चाहेंगे, तभी किसी को उनके दर्शन प्राप्त होंगे। इसी कारण इनके दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं में भजन-कीर्तन और सेवा-पूजा करने का उत्साह रहता है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भक्ति और आध्यात्मिकता का एक जीवंत केंद्र भी है

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