Dehradun:अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज भी कहा जाता है, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल अक्षय (नष्ट नहीं होने वाला) होता है. इस दिन जो भी दान दिया जाता है, वह अक्षय होता है, अर्थात उसका फल अनंतकाल तक बना रहता है.इस दिन बिना किसी पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखण्ड, वाहन आदि की खरीददारी से सम्बन्धित कार्य किए जा सकते हैं1. इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है.
अक्षय तृतीया 2024 का पर्व इस वर्ष 10 मई को मनाया जाएगा। यह हिन्दू कैलेंडर के वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है, जो कि इस बार शुक्रवार के दिन है। इस दिन को धन-धान्य की वृद्धि और अक्षय पुण्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी इस प्रकार है:
इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान, पूजा और अन्य धार्मिक क्रियाओं का महत्व अत्यधिक होता है, और इसे अक्षय फल प्रदान करने वाला दिन माना जाता है। इस दिन नए उपक्रमों की शुरुआत, विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए भी यह दिन उत्तम माना जाता है।
इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत में घर को साफ करके, गंगाजल से शुद्धिकरण करना चाहिए। फिर लक्ष्मी और विष्णु की मूर्तियों या चित्रों को फूलों, तुलसी के पत्तों, धूप, दीप और नैवेद्य से सजाकर पूजा करें। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम या लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
अक्षय तृतीया का दिन अक्षय पुण्य प्रदान करने वाला माना जाता है। इस दिन किए गए दान, पूजा, और अन्य धार्मिक क्रियाओं का महत्व अत्यधिक होता है। इस दिन नए उपक्रमों की शुरुआत, विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए भी यह दिन उत्तम माना जाता है।इस दिन किए गए किसी भी शुभ कार्य का फल अक्षय माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने का प्रावधान है. इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है.
इसके अलावा, इस दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करे तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं. इसलिए, अक्षय तृतीया के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान माँगने की परम्परा भी है
अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र तिथि मानी जाती है। इस दिन को अनेक धार्मिक घटनाओं और मान्यताओं से जोड़ा गया है, जैसे कि:
आज हम आपको ले चलेंगे उस देवभूमि की गोद में, जहां सदियों से एक रहस्य…
वाराणसी: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार को वाराणसी पहुंचे और उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ…
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स के…
ऋषिकेश: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में ऋषिकेश का दौरा कर कई महत्वपूर्ण विकास…
हरिद्वार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज हरिद्वार का दौरा किया, जहां उन्होंने जगद्गुरु आश्रम…
देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी…