देहरादून: भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाली सड़कें उत्तराखंड के चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जनपदों में स्थित हैं। यह जनपद ऐसे स्थान हैं, जहां से सीधे तौर पर चीन से जुड़ा जा सकता है। इसी कारणवश भारत सरकार उत्तराखंड के इन तीनों मुख्य मार्गों पर लगातार जोर दे रही है, ताकि चीन सीमा तक अपनी पकड़ और अधिक मजबूत बनाई जा सके।पिथौरागढ़ के मिलम मार्ग का काम साल 2018 में शुरू हुआ था और अब यह अंतिम दौर में है। इस सड़क का निर्माण सामरिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, और इसकी गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकृति मिली है। इसके बाद न केवल सेना को फायदा होगा, बल्कि चीन सीमा की नजर भी इस प्रमुख सड़क पर रहेगी।
पिथौरागढ़ में यह मार्ग मुनस्यारी के धापा बैंड से मिलम को जोड़ता है। मुनस्यारी से चीन सीमा की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है। साल 2018 में भारत सरकार ने योजना बनाई थी कि लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सभी सड़कों को तेजी से बनाया जाए, जो बॉर्डर को कनेक्ट करती हैं। पिथौरागढ़ सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण जिला है। उत्तराखंड की तमाम ऊपरी सीमाएं चीन और नेपाल से लगती हैं, इसलिए यहां हमेशा सेना का मूवमेंट रहता है। सात साल में बनकर तैयार हो रही इस सड़क के बनने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के साथ-साथ रक्षा मंत्री भी इस सड़क का निरीक्षण कर सकते हैं। फिलहाल बताया जा रहा है कि लगभग 50% सड़क का काम पूरा हो चुका है और बाकी का काम आने वाले दो महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के कर्मचारियों ने पहाड़ों और चट्टानों के बीच सड़क का निर्माण किया है। यह कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी सफलता है। धापा की ओर से सड़क का काम एबीसीआई कंपनी कर रही है, जबकि मिलम की तरफ से बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन इसके निर्माण में शामिल है। इस सड़क के निर्माण से सेना को चीन सीमा तक पहुंचने में बेहद कम समय लगेगा, और आसपास के गांवों को भी इसका फायदा होगा। इस सड़क के बनने से मिलम, बिल्जू, गंघरा, सुमतु, टोला, मर्तोली, रिलकोट जैसे गांव सीधे सड़क से जुड़ जाएंगे।
इस सड़क के निर्माण के दौरान जीरो तापमान में काम करने वाले कर्मचारियों की मेहनत और संघर्ष का सम्मान है। इस इलाके में बर्फबारी और ठंडे मौसम के बावजूद, उन्होंने अपने काम को निरंतर जारी रखा है। इस सड़क के निर्माण से सेना को चीन सीमा तक पहुंचने में बेहद कम समय लगेगा, और बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के कर्मचारियों ने इस कठिनाई के बावजूद अपने कंधों पर यह जिम्मा उठाया है।
इस सड़क के निर्माण में एजेंसी और बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) के कर्मयोगियों ने जीरो डिग्री तापमान में भी काम किया है। जब इस पूरे इलाके में बर्फबारी और बेहद ठंडा मौसम था, तब भी सड़क निर्माण का काम नहीं रुका। यह पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है, और यहाँ उत्तराखंड के बड़े ग्लेशियरों में से एक, मिलम ग्लेशियर, भी मौजूद है। यह इलाका समुद्र तल से लगभग 2,265 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और सड़क का निर्माण 3,400 मीटर की ऊंचाई तक किया जा रहा है।
इस सड़क के बनने से सेना को चीन सीमा तक पहुंचने में काफी कम समय लगेगा। पहले, जहाँ सेना को चॉपर या लगभग 11 घंटे लगते थे, अब वह समय घटकर मात्र दो घंटे हो जाएगा। इससे सेना के ट्रक रसद और अन्य सामग्री आसानी से चेक पोस्ट तक पहुंचा सकेंगे।
ग्रामीणों को भी इस सड़क से महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। अनुसार, जिस तेजी से इस सड़क का निर्माण हो रहा है, उसे देखकर लगता है कि अगले एक से दो महीने में या शायद जुलाई के शुरुआती 15 दिनों में इसका काम पूरा हो जाएगा। इस मोटर मार्ग के बनने से न केवल सेना को बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी बड़ा फायदा होगा।
इस सड़क के आसपास जितने भी गांव हैं, वे सभी माइग्रेशन वाले गांव हैं, यानी बर्फबारी होने के बाद इन गांवों के लोग मुश्किल से नीचे उतर पाते हैं। लेकिन सड़क बनने के बाद उनके पास बहुत अधिक विकल्प हो जाएंगे, जिससे उनका जीवन आसान हो जाएगा। इसके अलावा, सेना की आवाजाही भी अब बेहद सुगम तरीके से हो सकेगी, जिससे सुरक्षा और आपूर्ति में भी सुधार होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान सड़क निर्माण का जिक्र किया है। उत्तराखंड की रेल और विद्युत परियोजनाओं के साथ-साथ, ज्योलिकांग वेदांग और मिलम लिपुथल को जोड़ने वाली 30 किलोमीटर की टनल के निर्माण के लिए भी वित्तीय सहायता मांगी गई है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी अपील की है कि उत्तराखंड की सीमाओं को जोड़ने वाले ऊपरी इलाकों में जितनी भी सड़कों का या मैदानी इलाकों में हाईवे का निर्माण हो रहा है, उनकी क्षतिपूर्ति के लिए वृक्षारोपण की व्यवस्था भी की जाए। राज्य सरकार ने यह क्षतिपूर्ति का आग्रह भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसलिए भी किया है, क्योंकि वन संरक्षण एवं संवर्धन नियम गाइडलाइन 2023 के अनुसार ये काम केवल गैर वन भूमि पर ही किया जा सकता है। भारत सरकार लगातार उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी में बन रही तमाम सड़कों की मॉनिटरिंग कर रही है, और राज्य सरकार के साथ-साथ रक्षा और गृह मंत्रालय के अधिकारी भी इस काम को बड़ी बारीकी से देख रहे हैं।
इससे पहले बीआरओ ने साल 2019 में लिपुलेख तक सड़क का निर्माण किया था, जिससे कैलाश मानसरोवर यात्रा को तेजी से लाभ मिला। इस सड़क के बनने से गढ़वाल और कुमाऊं को फायदा हुआ है, और सेना की आवाजाही भी दोनों जोन में आसानी से हो सकेगी। इसके साथ ही, बीआरओ, आईटीबीपी और अन्य एजेंसियों ने जोशीमठ की पहाड़ियों का सर्वे किया है, जिससे पर्यटन को भी गति मिलेगी
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