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धर्म ज्ञानः पुराणों बताए गए हैं ये 7 द्वीप

देहरादून :पुराणों और वेदों के अनुसार, धरती पर सात द्वीप हैं, जिनके नाम जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक और पुष्कर हैं. ये सात द्वीप चारों ओर से खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घी, दही, दूध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हुए हैं। इन द्वीपों से धरती का मानचित्र तैयार होता है और ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं. जम्बूद्वीप इन सभी द्वीपों के बीच में स्थित है. यह धर्म ज्ञान और पुराणों में उल्लिखित है।आइए जानते हैं धर्म ज्ञान में इन सात द्वीपों के बारे में जिनका जिक्र पुराणों में किया गया है…

  1. जम्बू द्वीप: यह द्वीप पृथ्वी के केंद्र में स्थित है, और इसमें भारतवर्ष समेत नौ खंड हैं। हमारी तमाम धार्मिक कथाओं में जम्बू द्वीप का वर्णन मिलता है। जंबूद्वीप में ही हमारा देश भारत आता है। इस देश में जामुन के वृक्ष अधिक होने के कारण इसका नाम जंबूद्वीप हुआ। ।जंबूद्वीप का वर्णन हिन्दू, बौद्ध, और जैन धर्मों के कायाकल्प में किया गया है. इसे पृथ्वी के केंद्र में स्थित माना गया है.  प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में बृहत्तर भारत की धरती को जंबूद्वीप नाम से अभिहित किया गया है. वस्तुतः, जंबूद्वीप का अधिकांश भाग वर्तमान एशिया माना जाता है. इसके नौ खण्ड हैं, जिनके नाम ये हैं- इलावृत्त, भद्रास्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरू और हिरण्यमय.

2 .प्लक्ष द्वीप प्लक्ष द्वीप का उल्लेख पौराणिक भूगोल में मिलता है, जहाँ इसे पृथ्वी के सप्त महाद्वीपों में से एक माना गया है। विष्णु पुराण के अनुसार, इस द्वीप का नाम प्लक्ष इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ पाकड़ के वृक्षों की बहुतायत थी। इस द्वीप का विस्तार दो लक्ष योजन था और इसमें सात मर्यादा पर्वत थे। यहाँ की सात मुख्य नदियाँ अनुतप्ता, शिखी, विपाशा, त्रिदिवा, अक्लमा, अमृता और सुक्रता थीं। प्लक्ष द्वीप के निवासी सदा निरोग रहते थे और उनकी आयु पाँच सहस्त्र वर्ष तक होती थी। कूर्मपुराण के अनुसार जम्बू द्वीप से दुगना और चारों ओर क्षीर सागर से घिरा हुआ ‘प्लक्ष द्वीप’ है। गोमेद, चंद्र, नारद, दुंदुभि, मणिमान, मेघ-निस्वन तथा वैभ्राज नाम के सात वर्ष और सात पर्वत इस द्वीप में हैं। ब्रह्मा का प्रिय पर्वत वैभ्राज है। देवर्षि और गंधर्वों के साथ उनका यहाँ नित्य ही निवास रहता है। इसी पर्वत पर ब्रह्मदेव की पूजा उपासना की जाती है। इन पर्वतों के प्रांतरों में रहने वाले लोग सभी प्रकार के रोग, व्याधि, पाप आदि से दूर रहते हैं।

3. शाल्मल द्वीप: इस द्वीप का नाम शाल्मली वृक्ष के नाम पर पड़ा है, जो इस द्वीप के मुख्य वृक्ष है।शाल्मल द्वीप का वर्णन गरुड़ पुराण में भी है। इस द्वीप का नाम यहां शाल्मल के वृक्ष होने के कारण पड़ा है। यह द्वीप विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी के सप्तद्वीपों में से एक है। इसके सात वर्षों के नाम हैं: श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, वैद्युत, मानस, और सुप्रभ. गरुड़ पुराण में इस द्वीप के विस्तृत वर्णन के साथ-साथ जीवन की रहस्यमयी बातों को जानने के लिए आप इसे पढ़ सकते हैं।इस द्वीप का वर्तमान में इराक और ईरान के क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है.

4. कुश द्वीप: इस द्वीप का नाम कुश वृक्ष के नाम पर पड़ा है, जो इस द्वीप के मुख्य वृक्ष है।इस द्वीप के बारे में विष्णु पुराण में बताया गया है कि यह चारों तरफ से घृत सागर से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र के लोग अग्नि की पूजा किया करते हैं। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार इस द्वीप पर देवताओं ने कुश की झाड़ियां लगाई थी इसलिए इसका नाम कुश द्वीप रखा गया।

5. क्रौंच द्वीप: इस द्वीप का नाम क्रौंच पक्षी के नाम पर पड़ा है भारतकोश के अनुसार, क्रौंच द्वीप पौराणिक भूगोल की उपकल्पना के अनुसार पृथ्वी के सप्त महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। इस द्वीप में क्रौंच नामक पर्वत स्थित है. यहां के निवासियों को जल देवता या वरुण का पूजक माना जाता है। द्वीप के चारों ओर क्षीर समुद्र की उपस्थिति है।यह द्वीप अपने ही बराबर के दधिमण्ड (मठ्ठे) से भरे समुद्र से चारों ओर से घिरा हुआ है विष्णु पुराण के अनुसार:“जंबूप्लक्षाह्वयौ द्वीपौ शाल्मल श्चापरो द्विज, कुश:, क्रौंच स्तथाशाक: पुष्करश्चैव सप्तम:”

6. शाक द्वीप: इस द्वीप का नाम शाक वृक्ष के नाम पर पड़ा है, जो इस द्वीप के मुख्य वृक्ष है।पौराणिक भारतीय भूगोल में वर्णित, शाक द्वीप अपनी अनोखी विशेषताओं और रहस्यमयी संस्कृति के लिए जाना जाता है। जम्बूद्वीप से दोगुने आकार का यह द्वीप क्षीर सागर से घिरा हुआ है और इसके निवासियों को मृत्यु का भय नहीं होता। यहां का अति महान शाक वृक्ष अपनी वायु के स्पर्श से लोगों के हृदय में आनंद उत्पन्न करता है।यह द्वीप अपने ही बराबर के दुग्ध (दूध) से भरे समुद्र से चारों ओर से घिरा हुआ है।

7. पुष्कर द्वीप: इस द्वीप का नाम पुष्कर वृक्ष के नाम पर पड़ा है, जो इस द्वीप के मुख्य वृक्ष है।श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, इस द्वीप का नाम उसके अनेक पंखुड़ियों वाले पुष्कर के कारण पड़ा। यह द्वीप मीठे पानी के सागर से घिरा हुआ है और इसके चारों ओर इंद्र और दिक्पालों की नगरी बसी हुई है। यहां के निवासी ब्रह्माजी के उपासक हैं और एक आध्यात्मिक जीवन जीते हैं।

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