नई दिल्ली: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान हनुमान को कलियुग का जाग्रत देवता माना जाता है और वे आज भी पृथ्वी पर सशरीर विद्यमान हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से उन्हें याद करता है, वे उसकी रक्षा और मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इतिहास और लोककथाओं में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं, जहां महान संतों और भक्तों को हनुमान जी के साक्षात दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इन दिव्य अनुभवों ने न केवल उन संतों के जीवन को नई दिशा दी, बल्कि समाज में भक्ति और आध्यात्मिकता की एक नई लहर भी पैदा की।
गोस्वामी तुलसीदास जी को मिले थे हनुमान जी के दर्शन
रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में यह प्रसिद्ध है कि उन्हें हनुमान जी की कृपा से ही भगवान श्री राम के दर्शन संभव हुए थे।कथाओं के अनुसार, तुलसीदास जी काशी में प्रतिदिन रामायण की कथा सुनाते थे, जहां हनुमान जी एक वृद्ध और कोढ़ी का वेश धारण कर कथा सुनने आते थे।एक दिन तुलसीदास जी ने उन्हें पहचान लिया और उनके चरणों में गिर पड़े, जिसके बाद हनुमान जी ने उन्हें अपने असली स्वरूप में दर्शन दिए और भगवान राम से मिलवाने का मार्ग प्रशस्त किया।
शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास को भी मिला आशीर्वाद
छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु, समर्थ रामदास जी भी हनुमान जी के परम भक्त थे। माना जाता है कि वे हनुमान जी की भक्ति में इतने लीन रहते थे कि स्वयं बजरंगबली ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।एक प्रचलित कथा के अनुसार, समर्थ रामदास जी के शुद्ध भाव और भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए, जिसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र में 11 मारुति (हनुमान) मंदिरों की स्थापना की, जो आज भी आस्था के प्रमुख केंद्र हैं।
नीम करोली बाबा और हनुमान जी का दिव्य संबंध
बीसवीं सदी के महान संत नीम करोली बाबा को कई भक्त हनुमान जी का अवतार ही मानते हैं। उनसे जुड़े कई चमत्कारी वृत्तांत हैं, जहां भक्तों ने हनुमान जी की उपस्थिति का अनुभव किया। कहा जाता है कि बाबा की तपस्या से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।उनके आश्रमों, विशेषकर कैंची धाम में, हनुमान जी का मंदिर स्थापित है, जहां आज भी भक्त दिव्य शांति और ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
राघवेंद्र स्वामी और अन्य भक्तों की गाथाएं
महान संत राघवेंद्र स्वामी भी हनुमान जी के अनन्य भक्त के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने पंचमुखी हनुमान की आराधना की और माना जाता है कि उन्हें भी हनुमान जी के दिव्य स्वरूप के दर्शन हुए थे।इनके अलावा भी भक्त माधव दास जैसे कई अन्य संतों और भक्तों का उल्लेख मिलता है, जिन्हें कलियुग में हनुमान जी के साक्षात दर्शन का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ।
इन महान विभूतियों के जीवन से यह स्पष्ट होता है कि कलियुग में भी सच्ची भक्ति और निःस्वार्थ सेवा से भगवान के दर्शन संभव हैं। इन संतों को हनुमान जी के दर्शन के बाद अद्भुत ज्ञान और आध्यात्मिकता की प्राप्ति हुई, जिसका उपयोग उन्होंने समाज के कल्याण के लिए किया।यह घटनाएं आज भी करोड़ों भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और हनुमान जी की अनंत कृपा में उनके विश्वास को और दृढ़ करती हैं।
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