नई दिल्ली : भगवद गीता न केवल एक हिंदू धर्म ग्रंथ है, बल्कि यह मनुष्य को जीवन के दुखों से उबरने का भी संदेश देती है। गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध की भूमि में दिया गया था। इस ज्ञान के जरिए ही अर्जुन सही और गलत के बीच का अंतर कर पाया और अंततः युद्ध में विजय प्राप्त की। गीता में जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे – धर्म, कर्म, नीति आदि राज छिपा है। इसके नियमित पाठ से जीवन की हर समस्या को हल किया जा सकता है।
भगवद गीता का पाठ करने से आत्मिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर फायदे होते हैं। यह ग्रंथ जीवन के मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता है और इसके पाठ से व्यक्ति को न केवल आत्मविश्वास मिलता है, बल्कि उसकी मानसिक शांति और सफलता में भी सहायक होती है। इसके अलावा, गीता के पाठ से नकारात्मकता और अशांति को दूर करने में भी मदद मिलती है। इसका नियमित पाठ करने से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और आत्मिक विकास की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।
धार्मिक पुराणों में माना गया है कि जिस घर में नियमित रूप से गीता का पाठ किया जाता है, वहां हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति को मानसिक शांति का अनुभव तो होता ही है, साथ ही जीवन की कई परेशानियों से भी छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होने लगती है। गीता के रोजाना पाठन से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, जिससे वह जीवन में सफलता हासिल कर सकता है।रोजाना गीता पढ़ने से शरीर और दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा विकसित होती है।गीता पढ़ने वाले व्यक्ति को अच्छे और बुरे की समझ आ जाती है।गीता पढ़ने से व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति निडर बनता है।
श्रीमद्भागवत गीता का पाठ हमेशा स्नान आदि से निवृत होकर, साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही करना चाहिए। इसके बाद एक आसन पर बैठ जाएं और लकड़ी से बनी पूजा चौकी या काठ पर रखकर गीता का पाठ करें। ध्यान रखें कि कभी भी जमीन पर या हाथ में रखकर गीता का पाठ नहीं करना चाहिए।
इसके साथ ही गीता को हमेशा लाल कपड़े में लपेटकर रखें और पाठ के दौरान ही खोलें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि भगवत गीता का अध्याय बीच में अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए, पूरा अध्याय पढ़ने के बाद ही गीता को बंद करें।
गीता को घर में रखने और इसका पाठ करने से जुड़े कुछ नियमों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। जिस भी स्थान पर आप गीता रख रहे हैं वह स्थान एकदम साफ होना चाहिए। गंदे हाथों से, बिना नहाएं या मासिक धर्म में गीता को स्पर्श नहीं करना चाहिए। श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, बस आपको अपनी स्वच्छता और शुद्धता का ख्याल रखना होगा।
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