देहरादून: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की के विशेषज्ञों ने उत्तराखंड में भूकंप के कारण भूस्खलन के बढ़ते खतरे को लेकर चेतावनी जारी की है. एक ताजा शोध रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के चार पर्वतीय जिलों में इसका बड़ा खतरा मंडरा रहा है, जिनमें रुद्रप्रयाग को सबसे अधिक संवेदनशील बताया गया है.[
आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों द्वारा किए गए इस अध्ययन में रुद्रप्रयाग के अलावा पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी को भी उच्च जोखिम वाले जिलों की सूची में शामिल किया गया है. रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भूकंपीय गतिविधियां इन क्षेत्रों में भूस्खलन को और अधिक बढ़ा सकती हैं, जिससे जान-माल का गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है.
विशेषज्ञों ने इन संवेदनशील जिलों में विशेष सतर्कता बरतने और आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. उनका कहना है कि इन क्षेत्रों की भौगोलिक संवेदनशीलता और भूकंप की आशंका को देखते हुए, भूस्खलन के जोखिम को कम करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए.
उत्तराखंड, जो कि भूकंपीय रूप से सक्रिय जोन पांच में आता है, पहले से ही भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति highly vulnerable रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्र में भूगर्भीय हलचलें लगातार हो रही हैं, जिससे इस तरह की घटनाओं की आशंका बनी रहती है.
आईआईटी रुड़की की यह रिपोर्ट राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है, ताकि वे समय रहते आवश्यक निवारक उपाय कर सकें और किसी भी संभावित आपदा से निपटने के लिए तैयार रहें.
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