Kedarnath Dham :6 महीने के लिए बंद हुआ केदारनाथ धाम के कपाट

Kedarnath Temple Door Closed: सुबह धाम में पहले भगवान आशुतोष के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप दिया गया। इसके बाद सुबह 8:30 बजे विधि-विधान से कपाट बंद किए गए।

देहरादून: चारधामों में शुमार बाबा केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर्व पर सुबह आठ बजकर तीस मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. आज कपाट बंद होने तक 18, 644 श्रद्धालु बाबा केदार के दरबार पहुंचे. ये सभी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने. सभी श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया. इस साल केदारनाथ यात्रा में 16,52,076 श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचे.

बाबा केदार के कपाट ऊं नमः शिवाय और जय बाबा केदार के जयघोष के बीच विधि-विधान और धार्मिक परंपराओं के साथ बंद किए गए. भगवान भोले नाथ 6 माह के लिए समाधि में लीन हो गए हैं. इसी बीच भारी संख्या में श्रद्धालु आर्मी की बैंड धुनों में जमकर थिरकते नजर आए.

बाबा केदार की पंचमुखी डोली गद्दीस्थल के लिए रवाना

आज सुबह पांच बजे से बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। बीकेटीसी के आचार्य, वेदपाठी, और पुजारियों ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा की, जिसमें शिवलिंग को भस्म, पुष्पों, बेल पत्र आदि से समाधि रूप दिया गया। प्रातः 08:30 बजे बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाया गया, जिसके बाद कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।

कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार की डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर के लिए रवाना हुई। हज़ारों श्रद्धालु बाबा की पंचमुखी डोली के साथ पैदल यात्रा पर निकले। केदारपुरी में मौसम साफ रहा, हालांकि ऊंची पहाड़ियों पर बर्फबारी और ठंडी हवाओं के कारण सर्दी महसूस हुई, लेकिन श्रद्धालुओं का उत्साह बना रहा। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि बाबा केदार की डोली आज रात रामपुर में ठहरेगी, 4 नवंबर को गुप्तकाशी के श्री विश्वनाथ मंदिर में रात्रि प्रवास करेगी और 5 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ पहुंचेगी, जहां बाबा केदार की शीतकालीन पूजा संपन्न होगी।

यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए हुए बंद: आज यमुनोत्री धाम के कपाट भी विधि-विधान के साथ बंद हो गए हैं. इससे पहले यानी गोवर्धन पर्व (2 अक्टूबर) पर गंगोत्री धाम के कपाट वैदिक विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए थे. वहीं, बाबा बदरी के कपाट अभी भी श्रद्धालु के लिए खुले हैं.

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