देहरादून:वैशाख पूर्णिमा, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है,बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए एक बहुत ही खास और पवित्र पर्व है। यह पर्व वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे विश्व भर में बौद्ध समुदाय द्वारा बड़े आदर और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन गौतम बुद्ध के जन्म, उनके द्वारा महा ज्ञान की प्राप्ति, और उनके महानिर्वाण की घटनाओं को याद किया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ, व्रत रखने की परंपरा भी है। इस दिन व्रत रखने और ध्यान लगाने से मन की शांति और ज्ञान की प्राप्ति की मान्यता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से धर्मार्थ कार्य, दान-पुण्य, और समाज के लिए उपयोगी कार्य करने का भी महत्व है। यह दिन अहिंसा, करुणा, और शांति के संदेश को फैलाने का भी एक अवसर होता है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं, जहाँ भक्तजन भगवान बुद्ध की मूर्तियों को स्नान कराते हैं, ध्यान करते हैं, और धर्म चक्र प्रवर्तन की कथाएँ सुनते हैं। इस दिन बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु विशेष रूप से पंचशील (पाँच नैतिक नियम) और अष्टांगिक मार्ग (आठ गुना पथ) का पालन करते हैं। इस प्रकार, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि समस्त मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
बुद्ध पूर्णिमा 2024: तिथि और समय
इस वर्ष 23 मई 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन का शुभ मुहूर्त 22 मई को शाम 6 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर 23 मई को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी बड़ा महत्व है, और दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने की परंपरा है। वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर सुबह 5 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने और फिर गरीब और जरूरतमंदों को दान करने की भी परंपरा है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की पूजा करने के साथ-साथ, यह दिन उनके जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और परिनिर्वाण की याद में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग विशेष रूप से पूजा-पाठ, ध्यान, और दान-पुण्य करते हैं। यह दिन सनातन धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध के जन्म का उत्सव मनाती है। गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी, आधुनिक-दिन नेपाल में हुआ था, जिन्होंने बोध गया, बिहार में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए निर्वाण प्राप्त किया। हिंदू परंपराओं में, उन्हें विष्णु के नौवें अवतार के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो पुनर्जन्म का प्रतीक है।
इस दिन को बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा गौतम बुद्ध, ‘प्रबुद्ध’ के सम्मान में एक महत्वपूर्ण और उत्सवपूर्ण अवसर के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने ‘कर्म’ से परे होकर स्वयं को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त किया।
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा का दिन और ज्यादा खास होने वाला है क्योंकि इस दिन कुछ शुभ योग का निर्माण हो रहा है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होगा और शुक्र-सूर्य की युति से शुक्र आदित्य योग और राजभंग योग का भी निर्माण होगा. इस दिन गुरु-शुक्र की वृषभ राशि में युति भी होने जा रही है इससे गजलक्ष्मी राजयोग और गुरु और सूर्य की युति से गुरु आदित्य योग का संयोग बन रहा है. गजलक्ष्मी राजयोग के बारे में मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और धन की प्राप्ति होती है.
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