नई दिल्ली: चीन के बीजिंग शहर में एक ऐसी घटना घटने का दावा किया जाता है जिसकी वजह से आज भी देर रात लोग बसों में सफर करने से डरते हैं. 14 नवंबर की सर्द रातों में एक वृद्ध और एक यंग लड़का रूट 375 की आखिरी बस का इंतेजार कर रहे थे। दोनों के बीच नॉर्मल बातचीत चल रही थी। ठंड की वजह से सड़क सुनसान हो चली थी और हल्के कोहरे से ढक गई थी। ठीक 11 बजते ही उस रूट की आखिरी बस नजर आती है। बस स्टॉप पर बस रूकते ही वृद्ध और लड़का बस में चढ़ जाते हैं। बस पूरी तरह खाली होती है। उसमें ड्राइवर और एक लेडी कंडक्टर के अलावा कोई नहीं होता। लड़का आगे ड्राइवर की सीट की ओर बैठ जाता है और वृद्ध बीच की ओर बैठ जाता है, बस अगले स्टॉप की ओर चल पड़ती है। बस कुछ दूर बढ़ती है कि बस अचानक रुकती है।पीछे की ओर बैठे हुए वृद्ध को तीन लोगों कि परछाई खिड़की से नजर आती है। तीन लोग बस पर चढ़ जाते हैं। कम रोशनी के कारण वृद्ध को उनका चेहरा ठीक से नजर नहीं आता। बस वो ये देख पाता है कि दो लोग अपने बीच किसी एक व्यक्ति को सहारा दे रहे हैं। उस व्यक्ति का सिर नीचे झुका हुआ होता है। बस फिर चल पड़ती है। सुनसान रास्ते के साथ बस में भी शांति हो जाती है। बस चलती रहती है कि वृद्ध पीछे से उठकर आगे बैठे हुए नौजवान से बहस करने लगता है। ये वही लड़का था जो उसके साथ स्टॉप पर खड़ा था। वृद्ध की बदतमीजी से लड़का तिलमिला उठता है और बात हाथापाई तक आ जाती है। गुस्से में ड्राइवर बस रोककर दोनों को नीचे सुनसान में उतारकर चला जाता है। दोनों को उतारने के बाद वृद्ध वापस शांत हो जाता है, तभी लड़का उससे पूछता है कि वो उससे बेवजह क्यों झगड़ा? तो वृद्ध उसका हाथ पकड़कर कहता है कि बेटा मैं झगड़ा नहीं हूं। मैंने तुम्हारी जान बचाई है। लड़का समझ नहीं पाता वो क्या कह रहा है। वृद्ध कहता है कि तुमने जिन तीन लोगों को बस चढ़ते देखा था, उनके पैर ही नहीं थे।
उनका शरीर हवा में तैर रहा था। ये सुनकर लड़का कांप जाता है। दोनों पास के ही पुलिस स्टेशन तक पैदल पहुंचते हैं और अपने साथ घटी घटना के बारे में बताते हैं। उनकी बात सुनकर पुलिस दोनों को पागल समझने लगती है। दोनों चुपचाप अपने घर निकल जाते हैं। फिर अगले दिन जो अखबार में आता है उससे पुलिस के होश उड़ जाते हैं। जिस कंपनी की बस इस रूट पर चलती है उसकी ओर से बस ड्राइवर-कंडक्टर समेत गायब हो जाने का दावा किया जाता है। पुलिस वृद्ध और उस लड़के को खोजने लगती है, जो देर रात आए थे। दोनों मीडिया को अपनी कहानी बताते हैं और अगले ही दिन बस का पता चल जाता है। पुलिस को अगले दिन एक बस एक्सिडेंट की सूचना मिलती है। ये वही बस होती है, जिसका जिक्र वृद्ध और उस लड़के ने किया था। पुलिस की नींद उड़ जाती है। बस को पानी से निकाला जाता है तो खौफनाक दृश्य सामने आत हैं। उसमें से ड्राइवर और कंडक्टर की लाशें मिलती हैं। इसके अलावा तीन बुरी तरह सड़ी हुई लाशें निकलती हैं। साइंटिफिक टीम भौंचक्की रह जाती है, उनके मुताबिक 48 घंटे के समय में कोई लाश इतनी बुरी तरह खराब नहीं हो सकती। जबकि ड्राइवर और कंडक्टर लाशें ठीक स्थिति में थी। इससे इस बात को बल मिलता है कि वो तीन शरीर क्या सचमुच प्रेत आत्माएं थीं? इतना ही नहीं दावा ये भी किया जाता है कि जब पुलिस ने बस की जांच की तो उसके फ्यूल टैंक में डीजल की जगह खून भरा हुआ मिला। ये देख पुलिस विभाग भी परेशानी में पड़ गया। उन्हें भी लगने लगा कि उस वृद्ध और लड़के ने जो कहानी सुनाई थी, वो सही थी। सबसे खौफनाक बात ये थी कि बस आखिरी स्टॉप से 100 किलोमीटर आगे जिंग शान शहर के पास एक नदी में मिली थी, जबकि रिपोर्ट्स के मुताबिक बस में इतना डीजल था ही नहीं कि वो 100 किलोमीटर का सफर तय कर सके।
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