देहरादून। विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आज भैया दूज के पावन अवसर पर पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सुबह 8:30 बजे शुभ मुहूर्त में कपाट बंद होने के इस ऐतिहासिक पल के साक्षी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बने।इस अवसर पर लगभग 10 हजार श्रद्धालु मौजूद रहे, जिनकी ‘हर हर महादेव’ और ‘जय बाबा केदार’ के उद्घोषों से पूरी केदारघाटी गुंजायमान हो उठी।
कपाट बंदी की प्रक्रिया ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो गई थी। मुख्य पुजारी बागेशलिंग द्वारा यज्ञ, हवन और विशेष समाधि पूजन किया गया। इस प्रक्रिया में भगवान के स्वयंभू शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों, भस्म, ब्रह्मकमल और सूखे पत्र-पुष्पों से समाधि रूप दिया गया।इसके बाद गर्भगृह और फिर मंदिर के मुख्य द्वार बंद कर दिए गए।
कपाट बंद होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर की परिक्रमा कराकर प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए रवाना किया गया। सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच बाबा की डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर गई, जहां अगले छह माह तक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे।डोली 24 अक्टूबर को गुप्तकाशी में रात्रि विश्राम के बाद 25 अक्टूबर को ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी।
मुख्यमंत्री ने धाम में चल रहे विकास कार्यों का भी निरीक्षण किया
श्री केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के पावन अवसर पर आज, गुरुवार को शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं केदारनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने कपाट बंद होने से पूर्व बाबा केदार की विशेष पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना की।
आज सुबह 8:30 बजे ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार और सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच शीतकाल के लिए बंद किए गए।कपाट बंद होने की प्रक्रिया ब्रह्ममुहूर्त में सुबह चार बजे से ही शुरू हो गई थी।मुख्य पुजारी ने बाबा केदार के स्वयंभू शिवलिंग को पुष्प, भस्म और अन्य सामग्रियों से समाधि रूप दिया, जिसके बाद मंदिर के गर्भगृह के द्वार बंद कर दिए गए।इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी के साथ हजारों श्रद्धालु ‘हर हर महादेव’ और ‘जय बाबा केदार’ के जयकारों से पूरे केदारपुरी परिसर को गुंजायमान कर रहे थे।
पूजा-अर्चना के बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केदारपुरी का भव्य और दिव्य पुनर्निर्माण हुआ है।उन्होंने कहा कि इस वर्ष चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं, जो प्रदेश सरकार के सुनियोजित प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने सफल यात्रा के लिए तीर्थ पुरोहितों, स्थानीय कारोबारियों और प्रशासन से जुड़े सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
कपाट बंद होने के बाद, भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर की परिक्रमा कराकर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए रवाना किया गया।डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी।अब अगले छह माह तक श्रद्धालु ऊखीमठ में ही बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने धाम में चल रहे विकास कार्यों का भी निरीक्षण किया और अधिकारियों को 2026 की यात्रा के लिए अभी से रणनीति बनाने के निर्देश दिए।उन्होंने श्रद्धालुओं से शीतकाल में भी उत्तराखंड आकर चारों धामों के गद्दीस्थलों पर दर्शन करने का आग्रह किया।
गौरतलब है कि इस वर्ष चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं, जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को बंद किए जाएंगे, जिसके साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का औपचारिक समापन हो जाएगा।
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