नई दिल्ली: एक बार भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर पहुंचे। द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर वे खुद शिव जी से मिलने अंदर चले गए। कैलाश की सुंदरता देखकर गरुड़ मंत्रमुग्ध हो गए और तभी उनकी नजर एक सुंदर चिड़िया पर पड़ी। चिड़िया की सुंदरता ने गरुड़ का ध्यान आकर्षित किया,उसी समय मृत्यु के देवता यमराज भी कैलाश पहुंचे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से जाते हुए उसे अपने साथ यमलोक ले जायेंगे।गरुड़ ने चिड़िया पर दया करते हुए उसे बचाने का निर्णय लिया। उन्होंने चिड़िया को उठाया और हजारों कोस दूर एक जंगल में चट्टान पर छोड़ आए। वापस आकर उन्होंने यमराज से पूछा,आपने चिड़िया को आश्चर्य से क्यों देखा था?यमराज बोले,”मैंने देखा कि उस चिड़िया की मृत्यु कुछ ही पल में एक नाग के द्वारा होनी है,लेकिन वो नाग यहां नहीं,हजारों कोस दूर है। मैं सोच रहा था कि वो इतनी जल्दी वहां कैसे पहुंचेगी। अब समझ में आया,वो अपनी नियति को पा चुकी है।
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