UTTARAKHAND

धूमकेतुओं की बारात: अक्टूबर से दिसंबर तक आकाश में दिखेंगे दुर्लभ नजारे

देहरादून: अक्टूबर का महीना खगोल प्रेमियों के लिए एक अनूठा तोहफा लेकर आया है। इस महीने से धूमकेतुओं की एक ऐसी बारात पृथ्वी के पास से गुजरने वाली है, जो अगले तीन महीनों तक आकाश में अद्भुत और दुर्लभ नजारों की झड़ी लगा देगी। खगोलविदों के अनुसार, इतने कम समय में एक के बाद एक कई चमकीले धूमकेतुओं का दिखना एक बेहद दुर्लभ संयोग है, जो वैज्ञानिकों और शौकिया अंतरिक्ष पर्यवेक्षकों दोनों के लिए एक सुनहरा अवसर है। इनमें से कुछ धूमकेतुओं को नंगी आंखों से भी देखा जा सकेगा, जबकि कुछ के लिए छोटी दूरबीन की आवश्यकता होगी।

अक्टूबर में इन धूमकेतुओं पर रहेगी नजर

इस खगोलीय उत्सव की शुरुआत धूमकेतु ‘सी/2025 के1 (एटलस)’ से हो रही है। मई 2025 में चिली में खोजा गया यह धूमकेतु अक्टूबर की शुरुआत में सूर्य के करीब पहुंचेगा, जिससे इसकी चमक बढ़ने की उम्मीद है।यह उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्धों में दिखाई देगा। वैज्ञानिकों की इस पर विशेष नजर है कि सूर्य की गर्मी से यह धूमकेतु बच पाता है या नहीं।

अक्टूबर में ही आसमान में अपनी चमक बिखेरने वाला एक और धूमकेतु ‘सी/2025 आर2 (स्वान)’ है। इसे 11 सितंबर 2025 को खोजा गया था और यह पहले से ही शौकिया खगोलविदों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।यह धूमकेतु शुरुआत में दक्षिणी गोलार्ध में बेहतर दिखाई देगा और महीने के अंत तक उत्तरी गोलार्ध के दर्शक भी इसे देख सकेंगे।

नवंबर और दिसंबर के चमकते सितारे

अक्टूबर के अंत से नवंबर तक आकाश में ‘सी/2025 ए6 (लेमन)’ धूमकेतु का राज होगा।3 जनवरी 2025 को अमेरिका की माउंट लेमन वेधशाला द्वारा खोजा गया यह धूमकेतु अपने हरे रंग के लिए खास है।अनुमान है कि यह काफी चमकीला हो सकता है और इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकेगा।

इस धूमकेतु परेड का एक और महत्वपूर्ण सदस्य अंतरतारकीय धूमकेतु ‘3आई/एटलस’ है।यह धूमकेतु हमारे सौर मंडल के बाहर से आया है, जो इसे बेहद खास बनाता है।यह नवंबर-दिसंबर 2025 के बीच पृथ्वी के नजदीक से गुजरेगा और इसके अत्यधिक चमकने का अनुमान है। 1 जुलाई 2025 को एटलस सर्वे द्वारा खोजा गया यह धूमकेतु वैज्ञानिकों को दूसरे तारा मंडलों की संरचना को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान कर रहा है।

इसके अलावा, नियतकालिक धूमकेतु ‘210पी/क्रिस्टेंसेन’ के भी नवंबर के अंत में दिखाई देने की उम्मीद है। यह धूमकेतु हर 5.7 साल में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है।

आर्यभट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिकों का भी मानना है कि इतने कम समय में कई धूमकेतुओं का एक साथ दिखाई देना एक दुर्लभ घटना है। यह न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए इन “आगंतुक तारों” के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि आम जनता के लिए भी ब्रह्मांड के इन अद्भुत नजारों का आनंद लेने का एक यादगार मौका है। खगोल प्रेमी इन घटनाओं पर नजर बनाए हुए हैं और आने वाले हफ्तों में इन धूमकेतुओं की स्थिति और चमक को लेकर और अधिक जानकारी सामने आने की उम्मीद है।

Tv10 India

Recent Posts

कलियुग में भी होते हैं हनुमान जी के साक्षात दर्शन, इन महान संतों को मिला है बजरंगबली का आशीर्वाद

नई दिल्ली: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान हनुमान को कलियुग का जाग्रत देवता माना जाता है…

2 hours ago

Sun Line Palmistry: हथेली में ऐसी सूर्य रेखा लिख देती है किस्मत में राजयोग

नई दिल्ली: हस्तरेखा शास्त्र में हाथों की लकीरों को भविष्य का दर्पण माना जाता है। इन्हीं…

2 hours ago

कलियुग में हनुमान: पाँच पवित्र धामों की गाथा

शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, पवनपुत्र हनुमान जी को भगवान श्रीराम से अजर-अमर होने का…

6 hours ago

इंस्टाग्राम ने भारत में लॉन्च किया अपना नया ‘मैप फीचर’, अब दोस्तों की लोकेशन जानना हुआ आसान

नई दिल्ली: फोटो-शेयरिंग प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम (Instagram) अपने यूज़र्स के एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए लगातार…

9 hours ago

Women’s World Cup 2025: South Africa’s Stunning Victory – Tazmin Brits Breaks Smriti Mandhana’s World Record

Indore: In the seventh match of the Women’s World Cup 2025, South Africa crushed New…

9 hours ago

उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज, बदरीनाथ-केदारनाथ में बर्फबारी, मैदानी इलाकों में बारिश

चमोली: उत्तराखंड में मॉनसून की विदाई के बाद भी बारिश और बर्फबारी का दौर जारी है।…

9 hours ago