नई दिल्ली: आपको जानकर हैरानी होगी की पहली रामायण महर्षि वाल्मीकि ने नहीं बल्कि हनुमान जी ने लिखी थी। जब महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखी और उसे भगवान शिव को समर्पित करने के लिए कैलाश धाम पहुंच पहुंचे, वहां उन्हें हनुमानजी मौजूद मिले। हनुमानजी ने भी अपने प्रभु श्री राम के लिए विशाल शिलाओं पर नाखूनों से रामायण लिखी थी जिसे हनुमद रामायण कहा जाता है। जब वाल्मीकि जी ने हनुमद रामायण पढ़ी तो वे निराश हो गए, बजरंगबली ने उनसे मायूसी की वजह पूछी तो महर्षि ने कहा कि मैंने कठिन परिश्रम से रामायण लिखी। लेकिन आपकी रामायण देखकर लगता है कि अब मेरी लिखी रामायण को महत्व नहीं मिलेगा, आपने वह सब कुछ लिख दिया है, जिसके आगे मेरी रामायण कहीं नहीं टिक रही, यह सुनकर हनुमानजी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि चिंता ना करें, इतना कहकर बजरंगबली ने हनुमद रामायण लिखी शिला एक कंधे पर रक्खी और समुद्र में उन्होंने अपनी लिखी हनुमद रामायण राम को समर्पित करते हुए फेंक दी।
आज हम आपको ले चलेंगे उस देवभूमि की गोद में, जहां सदियों से एक रहस्य…
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