काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। 13 मार्च तक उन्हें संसद में विश्वास मत हासिल करना है। इसके लिए ‘प्रचंड’ ने नेपाली कांग्रेस का साथ छोड़कर नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के साथ एक नया गठबंधन बनाया है।
इस नए गठबंधन के बाद, प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है। उन्होंने जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) के अध्यक्ष उपेंद्र यादव को जनसंख्या और स्वास्थ्य मंत्री तथा जेएसपी के ही कोशोर शाह को वन मंत्री के रूप में शामिल किया है।
संसद के निचले सदन – प्रतिनिधि सभा – को 13 मार्च को सत्र के लिए बुलाया गया है। नेपाल की स्थानीय मीडिया के मुताबिक नए गठबंधन के पास 275 सदस्यीय संसद में पर्याप्त संख्याबल है। नेपाली कांग्रेस द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ‘प्रचंड’ को बहुमत साबित करने के लिए 30 दिनों के भीतर विश्वास मत हासिल करना अनिवार्य हो गया है।
इस राजनीतिक घटनाक्रम के बीच, ‘प्रचंड’ की ओर से विश्वास मत हासिल करने का यह तीसरा प्रयास होगा। नेपाल के संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, किसी भी सहयोगी दल के समर्थन वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री को विश्वास मत हासिल करना होता है। इस बीच, संसद के ऊपरी सदन के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 12 मार्च को निर्धारित किया गया है।
नेपाल की राजनीति में इस तरह की हलचल ने काठमांडू में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। नेपाल के लोग और राजनीतिक विश्लेषक इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं, और आगामी विश्वास मत के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।
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