देहरादून: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, उत्तराखंड सरकार ने राज्य में देश की पहली योग नीति, “उत्तराखंड योग नीति 2025” को लागू कर दिया है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड को ‘देवभूमि’ के साथ-साथ योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित करना है।28 मई, 2025 को धामी मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 21 जून को गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा परिसर में इसकी अधिसूचना जारी की।
यह नीति, जिसे तैयार करने में लगभग दो साल लगे, आयुष विभाग द्वारा आयुर्वेद विशेषज्ञों और विभिन्न हितधारकों के सुझावों से विकसित की गई है। इसका लक्ष्य राज्य के स्वास्थ्य संवर्धन, पर्यटन को बढ़ावा देना और योग की आध्यात्मिक विरासत का संरक्षण करना है।
नई योग नीति के तहत, सरकार नए योग केंद्र खोलने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करेगी:
नीति के प्रभावी कार्यान्वयन, नियमन, अनुदान वितरण और निगरानी के लिए “योग और प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय” की स्थापना की जाएगी।इस निदेशालय में एक निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप-निदेशक, योग विशेषज्ञ, रजिस्ट्रार और अन्य आवश्यक कर्मचारी शामिल होंगे। यह निदेशालय योग केंद्रों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, उनके पंजीकरण और रेटिंग प्रणाली बनाने के लिए भी जिम्मेदार होगा।
अगले पांच वर्षों में इस नीति को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार लगभग 35 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस राशि में से 25 करोड़ रुपये योग केंद्रों को, 1 करोड़ रुपये अनुसंधान को, 1.81 करोड़ रुपये शिक्षक प्रमाणन को और 7.5 करोड़ रुपये मौजूदा संस्थानों में योग सत्रों के संचालन में सहयोग के लिए आवंटित किए जाएंगे।इस महत्वाकांक्षी पहल से उत्तराखंड न केवल अपनी आध्यात्मिक विरासत को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
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