नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को यहां गुजरात में पंचकुई समुद्र तट पर ‘स्कूबा डाइविंग’ की और पानी में डूबी भगवान कृष्ण की प्राचीन द्वारका नगरी के दर्शन करने के साथ ही वहां पूजा-अर्चना भी की. मोदी ने कहा कि वहां प्रार्थना करना एक ‘बहुत ही दिव्य अनुभव’ था.सफेद डाइविंग हेलमेट और गेरुआ वस्त्र पहने मोदी समुद्र तल पर पालथी मारकर बैठे और हाथ जोड़कर भगवान की प्रार्थना की. इस दौरान नौसेना के गोताखोरों ने उनकी इसमें मदद की. इससे पहले मोदी हाथ में मोर पंख लिये वहां पहुंचे और उसे भगवान कृष्ण को अर्पित किया.
पानी से बाहर आने के बाद मोदी ने कहा, ‘‘साहस से कहीं अधिक, यह आस्था था.’ ‘स्कूबा डाइविंग’ बेट द्वारका द्वीप के पास द्वारका के तट पर कराई जाती है, जहां लोग पुरातत्वविदों द्वारा खोजी गई ‘समुद्र में डूबी’ प्राचीन द्वारका के मौजूद अवशेषों को देख सकते हैं.मोदी ने बाद में यहां एक सभा को संबोधित करते हुए अपने अनुभव साझा किये. उन्होंने कहा कि जब वह प्राचीन शहर को स्पर्श कर रहे थे, तो 21वीं सदी के भारत की भव्यता की तस्वीर उनकी आंखों के सामने घूम गई और वह काफी देर तक पानी के अंदर रहे. उन्होंने कहा, ‘समुद्र में द्वारका के दर्शन ने विकसित भारत के मेरे संकल्प को और मजबूत किया है.’
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कुछ तस्वीरों के साथ अपना अनुभव भी साझा किया. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आज गहरे समुद्र में दिव्य और भव्य द्वारका जी के दर्शन की अनुभूति अविस्मरणीय बन गई है. मुझे आध्यात्मिक भव्यता और कालातीत भक्ति के एक प्राचीन युग से जुड़ाव महसूस हुआ. भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे.” मोदी ने यहां सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह पवित्र शहर को छूने के अपने दशकों पुराने सपने के पूरा होने से अभिभूत हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं समुद्र की गहराई में गया और प्राचीन द्वारकाजी को देखा. पुरातत्वविदों ने समुद्र में डूबी द्वारका के बारे में बहुत कुछ लिखा है. हमारे धर्मग्रंथों में भी द्वारका के बारे में बहुत कुछ कहा गया है. कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही इस द्वारका शहर का निर्माण किया था.” उन्होंने कहा कि प्राचीन द्वारका शहर एक महान शहर की योजना और विकास का एक अच्छा उदाहरण था और जब वह समुद्र में इसके दर्शन कर रहे थे, तो उन्हें ‘उसी प्राचीन भव्यता और दिव्यता’ का अनुभव हुआ. उन्होंने कहा, ‘मैंने वहां भगवान श्री कृष्ण को प्रणाम किया. मैं अपने साथ मोर पंख भी ले गया, जो मैंने भगवान कृष्ण को अर्पित किया.’
उन्होंने अरब सागर पर देवभूमि द्वारका जिले में बेट द्वारका द्वीप को मुख्य भूमि ओखा से जोड़ने वाले देश के सबसे लंबे 2.32 किलोमीटर के केबल आधारित पुल ‘सुदर्शन सेतु’ का सुबह उद्घाटन किया. उन्होंने देवभूमि द्वारका, जामनगर और पोरबंदर जिलों के लिए 4,100 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया.
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