WORLD

UNSC में भारत की दहाड़: स्थायी सदस्यता पर कड़ा रुख, बिना नाम लिए चीन पर हमला

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर भारत ने एक बार फिर अपना कड़ा रुख जाहिर किया। भारत ने चीन का नाम लिए बिना उस पर निशाना साधते हुए कहा कि स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने का विरोध करने वाले देश यथास्थितिवादी मानसिकता के समर्थक हैं, जिनकी सोच संकीर्ण और दृष्टिकोण गैर-प्रगतिशील है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि यह रवैया अब स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “ग्लोबल साउथ” से अनुचित व्यवहार अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भारत और अन्य विकासशील देश संयुक्त राष्ट्र निकायों में उचित प्रतिनिधित्व के हकदार हैं, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता में।

संकीर्ण सोच वाले देश कर रहे हैं विरोध

UNSC में “बहुपक्षवाद और वैश्विक शासन सुधार” विषय पर आयोजित खुली बहस के दौरान हरीश ने कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए तीन मूलभूत सिद्धांतों को अपनाना जरूरी है:

  1. स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में सदस्यों की संख्या में वृद्धि।
  2. टेक्स्ट-आधारित वार्ता की शुरुआत।
  3. निर्धारित समयसीमा के भीतर ठोस परिणाम हासिल करना।

हरीश ने कहा, “जो देश स्थायी सदस्यता के विस्तार का विरोध कर रहे हैं, वे संकीर्ण सोच वाले और यथास्थिति बनाए रखने के इच्छुक हैं। उनका दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से गैर-प्रगतिशील है, जिसे अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

PM मोदी भी उठा चुके हैं सवाल

भारत लंबे समय से UNSC में स्थायी सदस्यता की मांग करता आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मुद्दे को कई वैश्विक मंचों पर उठा चुके हैं। हरीश ने 2023 में “भविष्य का शिखर सम्मेलन” में पीएम मोदी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा, “सुधार ही प्रासंगिकता की कुंजी है। संयुक्त राष्ट्र को 1945 की संरचना के बजाय वर्तमान वैश्विक व्यवस्था को प्रतिबिंबित करना होगा।”

भारत का दावा मजबूत क्यों?

भारत सुरक्षा परिषद में सुधार का मुखर समर्थक रहा है। 1945 में स्थापित 15 सदस्यीय UNSC आज की वैश्विक हकीकत को नहीं दर्शाता। भारत का मानना है कि दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था होने के नाते उसे स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए। भारत 2021-22 में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है और उसने बार-बार अपने प्रभावशाली नेतृत्व को साबित किया है।

क्या चीन UNSC में भारत की राह का रोड़ा?

हालांकि भारत का नामांकन कई देशों से समर्थन पाता है, लेकिन चीन बार-बार इस राह में अड़चनें डालता आया है। चीन के रवैये को लेकर भारत पहले भी कड़ा रुख अपना चुका है और अब एक बार फिर उसने स्पष्ट कर दिया है कि UNSC में सुधार अब समय की मांग है।

Tv10 India

Recent Posts

देहरादून में जल प्रलय: बचाव कार्य जारी, मुख्यमंत्री धामी ने संभाला मोर्चा

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में सोमवार देर रात हुई विनाशकारी बारिश…

12 hours ago

कर्ण का पूर्वजन्म: सहस्र कवच वाला असुर दंभोद्भवा | महाभारत रहस्य

सतयुग में दंभोद्भवा नामक एक असुर था, जिसे लोग दुरदुंभ भी कहते थे। उसने सहस्त्रों…

1 day ago

केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा आज से फिर शुरू, खराब मौसम बना तो नहीं मिलेगी उड़ान की अनुमति

देहरादून: श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। लगभग तीन महीने तक बंद रहने…

2 days ago

उत्तराखंड भाजपा की नई टीम घोषित: युवा चेहरों पर भरोसा, क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने पर जोर

 Uttarakhand Politics: उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2027 में जीत की हैट्रिक…

2 days ago

उत्तराखंड में भारी बारिश की चेतावनी, देहरादून समेत चार जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी

देहरादून: उत्तराखंड में मानसून एक बार फिर सक्रिय हो गया है, जिसके चलते मौसम विभाग ने…

2 days ago

मॉरीशस के प्रधानमंत्री का उत्तराखंड दौरा संपन्न, मुख्यमंत्री धामी ने दी भावभीनी विदाई

Uttarakhand:मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीन चंद्र रामगुलाम उत्तराखंड के अपने चार दिवसीय दौरे के बाद…

2 days ago