देहरादून: हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई दुखद भगदड़ की घटना के बाद, उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने निर्णय लिया ,कि विशेषज्ञों की एक टीम इन स्थलों का सर्वेक्षण कर भीड़ प्रबंधन के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करेगी। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के आयुक्तों को नो-डल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
यह निर्णय मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। बैठक में प्रदेश के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गहन चर्चा की गई। मुख्य सचिव ने कहा कि त्योहारों और विशेष अवसरों पर मंदिरों में अचानक बढ़ने वाली भीड़ के कारण भगदड़ जैसी घटनाओं की आशंका बनी रहती है, जिसे रोकने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक उपाय आवश्यक हैं।
विशेषज्ञों की टीम करेगी इन पहलुओं की जांच
विशेषज्ञों की यह टीम मंदिर परिसरों का गहन विश्लेषण करेगी।इसमें मुख्य रूप से भीड़ का प्रवाह, निकासी की योजना, और ‘बॉटल नेक’ यानी संकरे क्षेत्रों की पहचान कर सिविल इंजीनियरिंग और तकनीकी पहलुओं का परीक्षण किया जाएगा।इसके आधार पर एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाएगी जिसमें विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं को रोकने की व्यवस्था और एक सुचारू परिसंचरण योजना (circulation plan) शामिल होगी।
पहले चरण में इन पांच प्रमुख मंदिरों पर होगा फोकस
सर्वेक्षण के पहले चरण में पांच प्रमुख और अत्यधिक भीड़ वाले मंदिरों को प्राथमिकता पर रखा गया है। इनमें हरिद्वार के मनसा देवी और चंडी देवी मंदिर, पौड़ी का नीलकंठ महादेव मंदिर, नैनीताल का कैंची धाम और चंपावत का पूर्णागिरि मंदिर शामिल हैं। इन मंदिरों में विशेषज्ञों द्वारा सर्वेक्षण के बाद तैयार की गई योजना को लागू किया जाएगा और इसके परिणामों का आकलन करने के बाद प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थलों पर भी इसी तरह की व्यवस्था की जाएगी।
आयुक्तों को मिली नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी
दोनों मंडलों के आयुक्तों को अपने-अपने क्षेत्रों में इस पूरी प्रक्रिया के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। वे जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित कर सर्वेक्षण और उसके बाद की जाने वाली कार्रवाइयों का पर्यवेक्षण करेंगे।
तकनीक का होगा इस्तेमाल, हटाए जाएंगे अतिक्रमण
सरकार भीड़ प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक का भी सहारा लेगी।इसमें श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक आकलन करने के लिए कैमरे और काउंटिंग डिवाइस लगाना शामिल है।इसके अलावा, धार्मिक स्थलों की ओर जाने वाले मार्गों पर से अतिक्रमण हटाने और संकरे रास्तों को चौड़ा करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं की आवाजाही सुगम हो सके। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही श्रद्धालुओं के अनिवार्य पंजीकरण पर जोर दिया है, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि श्रद्धालु सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से दर्शन कर सकें और भविष्य में हरिद्वार जैसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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