देहरादून: उत्तराखंड में सौर ऊर्जा नीति 2013 के तहत सोलर प्रोजेक्ट हासिल करने वाली 12 फर्मों को तगड़ा झटका लगा है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) ने इन फर्मों के परियोजना आवंटन को रद्द करने के अपने पूर्व के निर्णय को बरकरार रखते हुए उनकी पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया है। आयोग ने पाया कि कोई भी फर्म पुनर्विचार के लिए कोई नया तथ्य प्रस्तुत नहीं कर सकी।
यह मामला तब शुरू हुआ जब उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा अभिकरण (उरेडा) ने पुरानी सौर ऊर्जा नीति के तहत 2019-20 में इन 12 फर्मों को निविदा के माध्यम से सोलर परियोजनाएं आवंटित की थीं। इन परियोजनाओं को लगभग एक वर्ष में पूरा किया जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण काम समय पर पूरा नहीं हो सका, जिसके चलते परियोजना निर्माण की अवधि बढ़ा दी गई थी।
उरेडा ने निर्माण की अवधि को पहले 31 मार्च 2024 और फिर 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ाया। हालांकि, जब फर्मों ने और समय बढ़ाने की मांग की, तो उरेडा ने मामला नियामक आयोग के समक्ष रखा। आयोग ने जब सभी परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट की जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
जांच में पाया गया कि दो फर्मों ने लीज के दस्तावेजों में एक ही खाता संख्या दे दी थी, जबकि दो अन्य फर्मों ने एक ही जमीन की अलग-अलग एंगल से गूगल मैपिंग करके लोकेशन दर्शाई थी। इन गंभीर अनियमितताओं को देखते हुए, नियामक आयोग ने इस साल 27 मार्च को स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी 12 फर्मों की परियोजनाओं का आवंटन रद्द कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ सभी फर्मों ने मिलकर आयोग में पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य (विधि) अनुराग शर्मा की पीठ ने पाया कि पुनर्विचार याचिका में कोई भी फर्म नया ठोस तर्क या तथ्य प्रस्तुत करने में विफल रही। उरेडा और यूपीसीएल द्वारा प्रस्तुत जवाब भी संतोषजनक नहीं पाए गए। इसके अतिरिक्त, यह भी सामने आया कि इन परियोजनाओं के लिए अब तक न तो पूरी जमीन का अधिग्रहण हुआ है और न ही ऋण की प्रक्रिया आगे बढ़ी है। इन्हीं कारणों के आधार पर पीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया।
इन फर्मों पर हुई कार्रवाई:
जिन फर्मों के सोलर प्लांट आवंटन रद्द हुए हैं उनमें पीपीएम सोलर एनर्जी, एआर सन टेक, पशुपति सोलर एनर्जी, दून वैली सोलर पावर, मदन सिंह जीना, दारदौर टेक्नोलॉजी, एसआरए सोलर एनर्जी, प्रिस्की टेक्नोलॉजी, हर्षित सोलर एनर्जी, जीसीएस सोलर एनर्जी, देवेंद्र एंड संस एनर्जी, और डेलीहंट एनर्जी शामिल हैं।
राज्य के सौर ऊर्जा लक्ष्य पर असर
इन करीब 15.5 मेगावाट के प्रोजेक्ट्स के रद्द होने से राज्य की नई सौर ऊर्जा नीति 2023 के तहत दिसंबर 2027 तक 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को निश्चित रूप से एक झटका लगा है। हालांकि, इसका एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि यदि ये परियोजनाएं देरी से शुरू होतीं, तो उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) को पुराने आवंटन की दरों पर बिजली खरीदनी पड़ती, जो कि वित्तीय रूप से नुकसानदायक साबित होता।
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