नई दिल्ली: एक समय भगवान विष्णु तपस्या में लीन थे तो अचानक बहुत हिमपात होने लगा। तपस्यारत श्रीहरि बर्फ से पूरी तरह ढकने लगे। उनकी इस दशा को देखकर माता लक्ष्मी ने वहीं पर एक विशालकाय बेर के वृक्ष का रूप धारण कर लिया और हिमपात को अपने ऊपर सहन करने लगीं। माता लक्ष्मी भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और हिमपात से बचाने के लिए कठोर तपस्या करने लगीं। काफी वर्षों के बाद जब श्रीविष्णु ने अपना तप पूर्ण किया तो देखा कि उनकी प्रिया लक्ष्मी जी तो पूरी तरह बर्फ से ढकी हुई हैं। तब श्री हरि ने माता लक्ष्मी के तप को देखकर कहा-‘हे देवी! तुमने मेरे बराबर ही तप किया है इसलिए आज से इस स्थान पर मुझे तुम्हारे साथ ही पूजा जाएगा और तुमने मेरी रक्षा बदरी वृक्ष के रूप में की है अतः आज से मुझे ‘बदरी के नाथ’ यानि बद्रीनाथ के नाम से जाना जाएगा।” इस तरह से भगवान विष्णु का नाम बद्रीनाथ पड़ा।
नई दिल्ली: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान हनुमान को कलियुग का जाग्रत देवता माना जाता है…
नई दिल्ली: हस्तरेखा शास्त्र में हाथों की लकीरों को भविष्य का दर्पण माना जाता है। इन्हीं…
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, पवनपुत्र हनुमान जी को भगवान श्रीराम से अजर-अमर होने का…
नई दिल्ली: फोटो-शेयरिंग प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम (Instagram) अपने यूज़र्स के एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए लगातार…
Indore: In the seventh match of the Women’s World Cup 2025, South Africa crushed New…
चमोली: उत्तराखंड में मॉनसून की विदाई के बाद भी बारिश और बर्फबारी का दौर जारी है।…