Categories: Dharam Jyotish

श्री हरि विष्णु के वामन अवतार से भी है धनतेरस  से जुड़ी  पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा !!

 

मान्यता के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि अपने दोनों हाथों में कलश लेकर प्रकट हुए थे। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरि के अवतार में जन्म लिया था। शास्त्रों के मुताबिक भगवान धन्वंतरि सभी देवताओं के वैद्य हैं और इनकी पूजा आरोग्य, सुख, शांति और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष में ही हर साल त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

धनतेरस के दिन यमराज के लिए जिस घर में दीपदान किया जाता है. वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है. धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और 13 ही दीप घर के अंदर जलाने चाहिए. इस दिन मुख्य दीपक रात को सोते समय जलाया जाता है. इस दीपक को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है. यह दीपक घर के बाहर दक्षिण की तरफ मुख करके जलाना चाहिए. दरअसल, दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि घर में दीया घूमाने से इस दिन सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है.

श्री हरि विष्णु के वामन अवतार से भी है धनतेरस  से जुड़ी  पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा

धनतेरस से जुड़ी कथा है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी।
कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर देना। वामन साक्षात भगवान विष्णु हैं जो देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ छीनने आए हैं।
बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। इससे कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया।
वामन भगवान शुक्रचार्य की चाल को समझ गए। भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से निकल आए।
इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया। बलि दान में अपना सब कुछ गंवा बैठा।
इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुना धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। इस उपलक्ष्य में भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

Tv10 India

Recent Posts

भारत का सबसे रहस्यमयी मंदिर, यहाँ देखना मना है!

आज हम आपको ले चलेंगे उस देवभूमि की गोद में, जहां सदियों से एक रहस्य…

8 hours ago

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर लिया आशीर्वाद

वाराणसी: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार को वाराणसी पहुंचे और उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ…

8 hours ago

ऋषभ पंत ने रचा इतिहास: टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय विकेटकीपर बने

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स के…

8 hours ago

ऋषिकेश को सीएम धामी की बड़ी सौगातें: राफ्टिंग बेस स्टेशन और मल्टी-स्टोरी पार्किंग का शिलान्यास

ऋषिकेश: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में ऋषिकेश का दौरा कर कई महत्वपूर्ण विकास…

1 day ago

भारतीय मजदूर संघ का 70वां स्थापना दिवस समापन: सीएम धामी ने श्रमिकों-उद्योगों के सामंजस्य को बताया अहम

हरिद्वार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज हरिद्वार का दौरा किया, जहां उन्होंने जगद्गुरु आश्रम…

1 day ago

पंचायत चुनाव: कांग्रेस की अहम बैठक, जीत के लिए तीन-चरणीय रणनीति तैयार

देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी…

1 day ago