देहरादून:,जया पार्वती व्रत 2024: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत रखा जाता है, जिसे विजया पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत गणगौर और मंगला गौरी व्रत की तरह मनाया जाता है। सुख, समृद्धि और सौभाग्य के लिए महिलाएं इसे कई स्थानों पर 1 दिन से लेकर 5 दिन तक करती हैं। आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण व्रत का पूजा मुहूर्त, विधि, मंत्र, महत्व और आरती।
जया पार्वती पूजा मुहूर्त – Jaya Parvati Puja Muhurat 2024
जया पार्वती व्रत की पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kal Muhurat) में करना शुभ माना जाता है। आज, 19 जुलाई, शुक्रवार को यह मुहूर्त 6:50 PM से 8:55 PM तक है।
जया पार्वती व्रत महत्व – Significance of Jaya Parvati Vrat 2024
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां गौरी को समर्पित जया पार्वती व्रत करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, अगर कुंवारी कन्याएं इस दिन बालू या रेत का हाथी बनाकर उस पर पांच तरह के फल, फूल और प्रसाद अर्पित करती हैं, तो मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और मन चाहे वर का आशीर्वाद देती हैं। यह व्रत गणगौर, हरतालिका तीज और मंगला गौरी व्रत के समान ही किया जाता है।
गौरी या जया पार्वती व्रत पूजा विधि – Jaya Parvati Vrat Puja Vidhi
व्रत कथा और आरती: व्रत कथा सुनें और पार्वती माता की आरती गाएं। आरती के बाद दोनों हाथ जोड़कर मां पार्वती से अपना मनचाहा वरदान मांगें।
बालू या रेत के हाथी का विसर्जन: अगर आप बालू या रेत के हाथी का निर्माण कर रही हैं, तो रात में जागरण करने के बाद सुबह स्नान करने के बाद उसे किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें।
व्रत में क्या करें सेवन – What to Eat During Jaya Parvati Vrat
ॐ देवी महागौरी नमः।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
जया पार्वती व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, चिरकाल में कौडिन्य नगर में वामन नामक ब्राह्मण रहता था, जिसकी पत्नी का नाम सत्या था। दोनों बेहद खुश थे। हालांकि, दोनों की कोई संतान नहीं थी। एक दिन महर्षि नारद उनके आश्रम पर पहुंचे तो उन्होंने ब्राह्मण दंपत्ति को चिंतित देखकर उनकी चिंता का कारण जानना चाहा। तब उन्होंने संतान प्राप्ति के उपाय बताने को कहा,
उसके बाद, नारद जी ने उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने की सलाह दें। महर्षि नारद जी के वचनानुसार, उन्होंने शिव जी और माता पार्वती की पूजा की, लेकिन एक दिन ब्राह्मण वामन को मंदिर के सामने सांप ने डस लिया, जिससे वामन की मृत्यु हो गई। इसके पश्चात, सत्या रोने लगी और माता पार्वती को स्मरण करने लगी। सत्या की भक्ति से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने ब्राह्मण वामन को पुनर्जीवित कर दिया।
इसके बाद माता पार्वती ने दंपत्ति से वर मांगने को कहा। तब ब्राह्मण दंपत्ति ने पुत्र प्राप्ति की कामना की। उस समय माता पार्वती ने उन्हें जया पार्वती व्रत करने की सलाह दी। कालांतर में ब्राह्मण दंपत्ति ने विधि पूर्वक माता पार्वती की पूजा उपासना की, जिसके फलस्वरूप ने उन्हें पुत्र रत्न की हुई। इस व्रत का पुण्य प्रताप वट सावित्री व्रत के समतुल्य होता है। यह व्रत पांच दिनों तक किया है।
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