ओडिसा: माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। पुरी में भोजन करते हैं और दक्षिण में रामेश्वरम में विश्राम करते हैं। द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ भगवान जग्गन्नाथ के मंदिर मे भगवान जगन्नाथ,सुभद्रा,और बलभद्र की लकड़ी की मूर्तियां विराजमान है । इन मूर्तियों को हर 12 साल मे बदलने की परंपरा है। इस परंपरा के दौरान पूरे शहर की बिजली बंद करके ब्लैक आउट कर दिया जाता है । मंदिर में किसी की भी एंट्री पर पाबंदी होती है। सिर्फ उसी पुजारी को मंदिर के अंदर जाने की इजाजत होती है जिन्हें मूर्तियां बदलनी होती हैं। जो पुजारी मन्दिर के अंदर जाते है उसे हाथों मे ग्लब्स पहना दियें जाते है और आंखो पर पट्टी बांध दी जाती है । ऐसा इसलिये किया जाता है की पुजारी भी मूर्तियों को ना देख सके । फिर पुजारी मूर्तियां बदलने की प्रक्रिया शुरु करते है । पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां लगा दी जाती हैं, लेकिन एक ऐसी चीज है जो कभी नहीं बदली जाती, ये है ब्रह्म पदार्थ। ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में लगा दिया जाता है।
आज हम आपको ले चलेंगे उस देवभूमि की गोद में, जहां सदियों से एक रहस्य…
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