काशी: महादेव की नगरी काशी विश्व की सबसे प्राचीन नगरियों और तीर्थ धामों में से एक है। यह नगरी अद्भुत रहस्यों से भरी पड़ी है, महादेव के कंठ में यदि राम नाम का जाप चलता है तो उनके हृदय में काशी वास करती है। सप्तपुरियों में काशी भी एक है और यहां मृत्यु को मंगल बताया गया है। काशी नगरी मां गंगा के तट के समीप बसी हुई है और यहा लगभग चौरासी घाट बने हुए हैं। काशी का सबसे प्रसिद्ध और रहस्यों से भरा घाट मणिकर्णिका है। जिसे महाश्मशान कहा जाता है। काशी के मर्णिकर्णिका घाट में चौबीसो घंटे चिता जलती रहती है और यह कभी भुजती नहीं है। यह घाट अनेक रहस्यों से भरा पड़ा है। काशी खंड के अनुसार जिसका भी यहां अंतिम संस्कार होता है या मृत्यु होती है उसे स्वयं भगवान शिव तारक मंत्र कान में देकर मोक्ष प्रदान करते हैं। इसलिए काशी में मृत्यु को मंगल कहा जाता है। कितना भी दुर्चारी व्यक्ति या पापी प्राणी क्यों न हो उसकी मृत्यु यदि यहां होती है तो उसकी मुक्ति सुनिश्चित है। भगवान शिव जीवात्मा के कान में आकर तीन बार राम राम राम बोलते हैं। जिसे तारक मंत्र कहा जाता है क्योंकि राम नाम में इतना सामर्थ है कि यह किसी को भी भव सागर से पार कर सकता है।
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