नई दिल्ली: एक दिन जब प्रभु श्रीराम अपनी राजसभा में बैठे थे उसी समय अचानक लंका के राजा विभीषण भी राजसभा में पहुंच गए. सभा में पहुंचते ही विभीषण प्रभु श्रीराम से गुहार लगाकर कहने लगे कि हे प्रभु ! मेरी रक्षा कीजिए, लंका में कुंभकर्ण का पुत्र मूलकासुर आफत मचा रखा है. जब उसे अपने पिता के वध के बारे में पता चला तो उसने यह प्रण ले लिया कि मैं पहले ‘धोखेबाज विभीषण को मारूंगा इसके बाद राम को’. श्रीराम, हनुमान और लक्ष्मण अपनी सेना के साथ लंका पहुंचे. दोनों सेनाओ के बीच लगभग 7 दिन तक युद्ध चला लेकिन मूलकासुर ने अकेले ही श्रीराम की सेना को मार गिराया. श्रीराम युद्ध से चिंतित हो गए और ब्रह्मा जी के पास गए. ब्रह्मा जी ने प्रभु श्रीराम से कहा कि मूलकासुर को मैंने स्त्री के हाथों से मरने का वरदान दिया है इसलिए आप माता सीता के हाथों इसका वध करवाइए. इसके बाद श्रीराम ने माता सीता को लंका बुलाया और मूलकासुर के बारे में सारी बात बताई.सीता माता और मूलकासुर के बीच भीषण युद्ध हुआ, सीता माता ने मूलकासुर पर 5 बाणों से वार किया और मूलकासुर का वध किया.
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