नई दिल्ली: एक धोबी के पास एक गधा और एक कुत्ता था। धोबी कपड़े धोकर गधे पर लादता और फिर गधा उसे लेकर घर आता। कुत्ते का काम था घर की रखवाली करना। एक दिन धोबी कुत्ते को खाना देना भूल गया। इस बात पर कुत्ता बहुत नाराज हो गया। उसी रात धोबी के घर चोर आ गया। गधे और कुत्ते दोनों ने ही चोर को आते हुए देख लिया। कुत्ता अपने मालिक से नाराज था तो वह नहीं भौंका। गधे ने कुत्ते से कहा, अरे तुम भौंकते क्यों नहीं? गधे की बात सुनकर कुत्ते ने कहा, मालिक तो हमें समय पर खाना भी नहीं देता। आज मैं अगर नहीं भौंकूंगा तो ही उन्हें मेरी कद्र होगी। गधे ने कहा, तुम कैसे नाशुक्रे हो। तुम्हारा फर्ज है कि तुम अभी मालिक के काम आओ। कुत्ता अड़ गया और नहीं भौंका। गधे ने सोचा, ‘अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा और अगर मालिक जाग गया तो शायद मुझे इनाम भी मिल जाए।’ गधा जोर-जोर से ढेंचु-ढेंचु करने लगा। धोबी दिन भर काम करके थका हुआ था। गधे की आवाज सुनकर उसकी नींद तो खुल गई लेकिन उसे बहुत गुस्सा आया। उसने गधे को खूब पीटा। गधे को पीटकर वह फिर सो गया। गधे की भावना सही थी लेकिन वह कुत्ते का काम करने चला था जो उसे आता नहीं था। तब से यह कहावत बन गई कि ‘जिसका काम उसी को साजे और करे तो डंडा बाजे’।
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